कुंभ मेले में हर्षा रिछारिया : कुंभ मेले में शामिल होने के बाद हर्षा रिछारिया लगातार सुर्खियों में हैं। कभी उनकी खूबसूरती को लेकर चर्चा होती है, तो कभी निरंजनी अखाड़े के रथ पर बैठने और भगवा वस्त्र धारण करने को लेकर विवाद उठते हैं। हाल ही में उनका कुंभ छोड़कर जाने का रोते हुए वीडियो वायरल हुआ है, जिसने उन्हें फिर से चर्चाओं में ला दिया। इसी विषय पर एनडीटीवी ने हर्षा के माता-पिता से विशेष बातचीत की और उनके जीवन से जुड़े अनछुए पहलुओं को उजागर किया। आइए जानते हैं हर्षा की आध्यात्मिक यात्रा और उनके माता-पिता की राय।
हर्षा रिछारिया की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत
1. क्या हर्षा साध्वी बन गई हैं
हर्षा की मां किरण रिछारिया का कहना है कि उनकी बेटी साध्वी नहीं बनी हैं। उन्होंने केवल गुरु दक्षिणा ली है और अखाड़े में सेवा कर रही हैं।
2. हर्षा का पहले क्या काम था?
हर्षा कई सालों से एंकरिंग कर रही थीं। उन्होंने भारत और विदेशों में सरकारी और प्राइवेट कार्यक्रमों की मेजबानी की है।
3. क्या हर्षा ने साध्वी बनने का फैसला किया है?
हर्षा की मां ने स्पष्ट किया कि उनकी बेटी का फिलहाल साध्वी बनने का कोई इरादा नहीं है। वह अपने एनजीओ के जरिए गरीब बच्चों, परिवारों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम कर रही हैं।
4. हर्षा का एनजीओ किस पर काम करता है?
हर्षा का एनजीओ गरीब बच्चों की शिक्षा, महिलाओं को ट्रेनिंग देने और उनके परिवारों के उत्थान पर फोकस करता है।
5. धर्म और युवा जागरूकता में योगदान
हर्षा का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सनातन धर्म की ओर प्रेरित करना है। वह चाहती हैं कि युवा अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक हों और इसे अपनाएं।
6. शादी को लेकर क्या है हर्षा का प्लान?
हर्षा की मां ने बताया कि शादी को लेकर हर्षा का कोई प्लान नहीं है। फिलहाल उनका पूरा ध्यान अपने सामाजिक कार्यों और धर्म प्रचार पर केंद्रित है।
7. हर्षा के माता-पिता की राय
बेटी के फेमस होने पर कैसा लग रहा है? : हर्षा के पिता दिनेश रिछारिया ने कहा, "यह हमारे लिए गर्व की बात है। हर्षा ने अब तक जो भी फैसले लिए हैं, उनसे हमें कभी निराशा नहीं हुई।"
परिवार और निवास स्थान : हर्षा का परिवार मूल रूप से झांसी, बुंदेलखंड से है। हालांकि, हर्षा की पढ़ाई-लिखाई भोपाल में हुई है
हर्षा की कहानी क्यों है खास?
- हर्षा ने एंकरिंग की चमक-दमक भरी जिंदगी को छोड़कर आध्यात्म का रास्ता चुना।
- अपने एनजीओ के माध्यम से वह गरीबों और महिलाओं के लिए काम कर रही हैं।
हर्षा का लक्ष्य सनातन धर्म के प्रति युवाओं में जागरूकता बढ़ाना है।
हर्षा रिछारिया की यात्रा एक प्रेरणा है। उन्होंने एंकरिंग के ग्लैमर को त्यागकर समाजसेवा और धर्म प्रचार का रास्ता चुना। उनकी कहानी न केवल एक बदलाव की मिसाल है, बल्कि यह दिखाती है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी पहचान को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।