Gajendra rana Garhwali singer : उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक की प्रेरणादायक कहानी

Gajendra rana Garhwali singer

Gajendra rana Garhwali singer : 
उत्तराखंड की धरती हमेशा से ही अपनी संस्कृति और संगीत के लिए जानी जाती रही है। यहां की लोकधुनें पहाड़ों की प्राकृतिक सुंदरता और लोगों की भावनाओं को व्यक्त करती हैं। इसी सांस्कृतिक विरासत को विश्वभर में ले जाने वाले कलाकारों में एक नाम गजेंद्र राणा का है। उनकी आवाज़ और गीतों में उत्तराखंड की मिट्टी की खुशबू है, जो श्रोताओं के दिलों को छू लेती है।  

गजेंद्र राणा का परिचय  

  • पूरा नाम : गजेंद्र राणा  
  • जन्म तिथि : 8 जुलाई 1988  
  • जन्म स्थान : दिल्ली  
  • मूल स्थान : नागणी गांव, टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड  
  • वर्तमान निवास : देहरादून, उत्तराखंड  
  • करियर की शुरुआत: 1998  

गजेंद्र राणा उत्तराखंड के उन गिने-चुने गायकों में से एक हैं, जिन्होंने गढ़वाली और कुमाऊंनी संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनके गीतों ने न केवल उत्तराखंड में, बल्कि देशभर में संगीत प्रेमियों के दिलों में जगह बनाई है। 

गजेंद्र राणा का प्रारंभिक जीवन  

गजेंद्र राणा का बचपन संघर्षों से भरा रहा। उनका परिवार एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार था, जो बेहतर भविष्य की तलाश में दिल्ली चला गया। उनके पिता डालमिया नामक कंपनी में काम करते थे। गजेंद्र जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से पूरी की और बाद में दिल्ली में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई की। 

बचपन का संघर्ष और प्रेरणा  

गजेंद्र राणा को संगीत में रुचि बचपन से ही थी। उनकी मां अक्सर गढ़वाली लोकगीत गाती थीं, जिससे उन्हें संगीत का पहला अनुभव मिला।  

गायकी का सफर  

गजेंद्र राणा का संगीत करियर 1998 में शुरू हुआ। उनकी पहली एल्बम **"मेरो गांव कू बाटू"** ने उन्हें रातोंरात लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद उन्होंने "तेरी द्वी आंखों मा" और "याद तेरा गों की" जैसे गीतों से अपनी पहचान को और मजबूत किया।  

 शुरुआती हिट गाने  

  1. लीला घस्यारी : एक ऐसा गीत जो गांवों की महिलाओं की मेहनत को दर्शाता है।  
  2. बबली तेरु मोबाइल : यह गीत युवाओं के बीच खासा लोकप्रिय हुआ।  
  3. गबरू दीदा : पहाड़ी प्यार की मासूमियत को दर्शाने वाला गाना। 

गजेंद्र राणा के प्रसिद्ध गीतों की सूची  

  • लीला घस्यारी  
  • बबली तेरु मोबाईल  
  • गबरू दीदा  
  • पुष्पा छोरी  
  • राणी गोरख्याणी  
  • बांध भानुमति  
  • फुर्की बांध  
  • छकना बांध  
  • छोरी 420  

गजेंद्र राणा की गायकी की विशेषताएं  

गजेंद्र राणा की गायकी की विशेषता यह है कि वे उत्तराखंड की संस्कृति, लोककथाओं और परंपराओं को आधुनिक संगीत के साथ जोड़ते हैं।  

उनकी गायकी में छुपी गहराई  

  • पहाड़ी जीवनशैली का वर्णन  
  • उत्तराखंड के रीति-रिवाजों और त्योहारों का जिक्र  
  • प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान  

उत्तराखंड संगीत उद्योग में योगदान  

गजेंद्र राणा ने गढ़वाली और कुमाऊंनी लोकगीतों को नई पहचान दी। उनके प्रयासों ने लोक संगीत को नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाया।  

 डिजिटल युग में लोक संगीत  

गजेंद्र राणा ने अपने गीतों को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स जैसे यूट्यूब और स्ट्रीमिंग ऐप्स पर उपलब्ध कराकर नई पीढ़ी तक पहुंचाया।  

प्रशंसा और सम्मान  

गजेंद्र राणा को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं।  

फैंस के प्यार का आधार  

उनके प्रशंसक उन्हें "उत्तराखंड का किशोर कुमार" कहते हैं।  

गजेंद्र राणा और सोशल मीडिया  

गजेंद्र राणा सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं। वे अपने प्रशंसकों से सीधे संवाद करते हैं और नई एल्बम्स के बारे में अपडेट्स देते हैं।  

भविष्य की योजनाएं  

गजेंद्र राणा आने वाले समय में उत्तराखंड की संस्कृति को और व्यापक रूप से फैलाने के लिए तत्पर हैं।  

गजेंद्र राणा उत्तराखंड के संगीत उद्योग का एक चमकता सितारा हैं। उनके गीतों ने न केवल उत्तराखंड की संस्कृति को जीवंत रखा, बल्कि इसे नई पहचान भी दिलाई।  

Krishna Kumar journalist

कृष्णा कुमार, एक पत्रकार के रूप में, आप अपनी गहरी दृष्टि और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। आपने अपने करियर में अनेक सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण लेखन और रिपोर्टिंग की है, जिसमें निष्पक्षता और संवेदनशीलता प्रमुखता से नजर आती है। पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करते हुए, आप समाज को जागरूक करने और सटीक जानकारी पहुँचाने में योगदान दे रहे हैं, जिससे आपके पाठक घटनाओं की व्यापक समझ विकसित कर पाते हैं।

Post a Comment

Previous Post Next Post