विकासनगर: उत्तराखंड में बेरोजगार आंदोलन को फंडिंग करने वाले संदिग्ध तत्वों और पत्थरबाजों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर जन संघर्ष मोर्चा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। मोर्चा के अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर ज्ञापन सौंपा।
मुख्यमंत्री धामी ने मामले की गंभीरता को समझते हुए उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए।
फंडिंग और पत्थरबाजी का मामला
फरवरी 2023 में बेरोजगार संघ द्वारा आयोजित रैली में पत्थरबाजों द्वारा पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों पर हमले की घटना हुई थी। तत्कालीन एसएसपी **दिलीप सिंह कुंवर** ने 14 फरवरी 2023 को बयान जारी कर कहा था कि इस आंदोलन को राजनीतिक दलों, कोचिंग संस्थानों, और अन्य लोगों द्वारा किसी खास मकसद से फंडिंग की गई थी। लेकिन, डेढ़ वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी फंडिंग करने वालों का पर्दाफाश नहीं हो पाया है।
मोर्चा की मांग और आंदोलन
रघुनाथ सिंह नेगी ने बताया कि: 6 मार्च 2023 को मोर्चा ने फंडिंग करने वालों और पत्थरबाजों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की मांग की थी। मामला डीजीपी अशोक कुमार के समक्ष भी रखा गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। डीजीपी के निर्देश पर एसएसपी ने विवेचक को फंडिंग मामले पर संज्ञान लेने को कहा, लेकिन इसका भी कोई परिणाम नहीं निकला।
नेगी का बयान
नेगी ने कहा कि अगर आंदोलन में फंडिंग नहीं हुई थी, तो तत्कालीन एसएसपी और डीआईजी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है, और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ऐसी फंडिंग के माध्यम से आंदोलन जारी रहे, तो उत्तराखंड की स्थिति जम्मू-कश्मीर जैसी हो सकती है।
मुख्य मांगें
- फंडिंग करने वाले संदिग्धों की पहचान और उन पर सख्त कार्रवाई।
- पत्थरबाजों और उनके आकाओं के खिलाफ कठोर कानून लागू करना।
- फंडिंग मामले की उच्च स्तरीय जांच।
प्रतिनिधिमंडल की भागीदारी
इस मौके पर मोर्चा महासचिव आकाश पंवार भी उपस्थित थे बेरोजगार आंदोलन की फंडिंग और पत्थरबाजी के मामले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच में क्या खुलासा होता है और दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है।