देहरादून: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर देहरादून में एक ओर सरकारी कार्यक्रमों की धूम थी, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के बेरोजगार युवाओं और विभिन्न संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जमकर प्रदर्शन किया। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के नेतृत्व में सैकड़ों बेरोजगारों ने मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच किया, जहां पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच जमकर नोकझोंक और धक्का-मुक्की हुई। इस दौरान पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया, हालांकि देर शाम को उन्हें रिहा कर दिया गया।
पुलिस पर छेड़छाड़ का आरोप
प्रदर्शन के दौरान कुछ महिला प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर छेड़छाड़ और बदसलूकी का आरोप लगाया। उत्तराखंड बेरोजगार संघ की सदस्य कुसुम लता बौड़ाई ने कहा कि पुलिस ने महिला प्रदर्शनकारियों के साथ अनुचित व्यवहार किया। इस आरोप ने विरोध में और तीव्रता ला दी और कई युवतियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
केदारनाथ उपचुनाव में आंदोलन की योजना
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने कहा कि वे अब केदारनाथ उपचुनाव में सरकार के खिलाफ अभियान चलाएंगे और बेरोजगार युवाओं के मुद्दों को जनता के सामने उठाएंगे। पंवार ने आरोप लगाया कि सरकार बेरोजगार युवाओं के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया अपना रही है। इसके अलावा, बॉबी पंवार ने यह भी कहा कि प्रदेश के बेरोजगार जल्द ही केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में जाकर वहां की जनता को सरकार के भ्रष्टाचार और बेरोजगारों के प्रति उसकी उदासीनता के बारे में बताएंगे।
मुख्य मांगे: आयु सीमा में छूट और महिला पदों की वृद्धि
प्रदर्शनकारी बेरोजगारों की मुख्य मांगें पुलिस भर्ती में आयु सीमा में छूट, पुलिस भर्ती में महिलाओं के लिए पदों की संख्या में वृद्धि, और वन आरक्षी पदों पर चयनित अभ्यर्थियों की तुरंत नियुक्ति हैं। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के उपाध्यक्ष राम कंडवाल ने बताया कि लंबे समय से सरकार के साथ वार्ता और प्रदर्शन के बावजूद इन मांगों पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह रवैया बेहद निराशाजनक है।
अन्य संगठनों का समर्थन और भू-कानून की मांग
इस विरोध प्रदर्शन में उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी), सीपीआई, जनवादी महिला समिति, महिला मंच, राज्य आंदोलनकारी संयुक्त परिषद, और अन्य सामाजिक संगठनों ने भी समर्थन दिया। इन संगठनों ने एक संयुक्त रैली आयोजित की, जिसमें उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग उठाई गई। वक्ताओं ने कहा कि मौजूदा भू-कानून कमजोर है, जिसके कारण बाहरी लोग पहाड़ों में जमीन खरीद रहे हैं और स्थानीय लोगों के लिए भूमि का संकट बढ़ रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की कि उत्तराखंड में एक सख्त भू-कानून लागू किया जाए, ताकि पहाड़ के निवासियों की आजीविका और उनके संसाधनों की रक्षा हो सके।
ओल्ड पेंशन और महिलाओं की सुरक्षा
वक्ताओं ने ओल्ड पेंशन योजना की बहाली और राज्य में बढ़ती हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कड़ी कार्रवाई की मांग भी की। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था के चलते कमजोर वर्गों और महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है। इस मांग के अलावा, उन्होंने राज्य में रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी और सरकारी नौकरियों में कटौती पर रोक की भी मांग की।
बेरोजगारी और निजीकरण के खिलाफ प्रदर्शन
प्रदर्शनकारियों ने बढ़ती बेरोजगारी और निजीकरण के खिलाफ भी आवाज उठाई। उत्तराखंड बेरोजगार संघ के कुमाऊं मंडल संयोजक भूपेंद्र कोरंगा ने कहा कि अगर सरकार ने बेरोजगारों की मांगों पर जल्द ही विचार नहीं किया, तो कुमाऊं में भी एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा। बेरोजगार युवाओं के साथ-साथ कई अन्य संगठनों ने भी इस आंदोलन को समर्थन देने का आश्वासन दिया।
बॉबी पंवार पर भ्रष्टाचार का आरोप
बॉबी पंवार ने हाल ही में यूपीसीएल के एमडी अनिल यादव के सेवा विस्तार का विरोध किया था, जिसके चलते उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। पंवार का आरोप है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे यादव को सेवा विस्तार देना सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इस मुद्दे पर आईएएस एसोसिएशन, सचिवालय संघ, और ऊर्जा संगठन पंवार के खिलाफ लामबंद हो गए हैं, लेकिन कई अन्य संगठनों ने उनके अभियान को समर्थन दिया है।
विभिन्न मांगों के साथ संयुक्त प्रदर्शन
उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर कई संगठनों ने एक संयुक्त प्रदर्शन किया। परेड ग्राउंड में आमसभा के बाद इन संगठनों ने गांधी पार्क में स्व. इंद्र मणि बडोनी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद जलूस के रूप में कचहरी जाकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल थे:
- उत्तराखंड में मूल निवास प्रमाणपत्र और सख्त भू-कानून लागू किया जाए।
- राज्य के छूटे हुए आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण किया जाए।
- कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन योजना की बहाली हो।
- महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर सख्त कार्रवाई हो।
- सरकारी नौकरियों में निजीकरण और कटौती पर रोक लगे।
- जल, जंगल, और जमीन पर स्थानीय लोगों के अधिकार की रक्षा हो।
- भूमि घोटालों की उच्चस्तरीय जांच हो।
संक्षेप में
उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न संगठनों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन कर राज्य के भू-कानून, ओल्ड पेंशन, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर आवाज उठाई। बेरोजगार युवाओं ने जहां सीएम आवास की ओर कूच कर सरकार के रवैये पर सवाल उठाए, वहीं विभिन्न संगठनों ने राज्य की संसाधनों की सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की मांग की।