आज यहाँ आप महामरिच्यादि तेल बनाने की विधि और महामरिच्यादि तेल का उपयोग के बारे में जानेंगे साथ में चालमोगरा तेल का उपयोग, सोमराजी तेल के फायदे, लाक्षादि तेल के फायदे, बैद्यनाथ सोमराजी तेल, कुष्ठ राक्षस तेल के बारे में ज्ञान अर्जित करेंगे ताकि आप भी इसके फायदे उठा सकें और आयुर्वेद का आनंद ले सके यह आपके काफी फायदेमंद हो सकते है जिसे आपको पढ़ना चाहिए।
महामरिच्यादि तेल बनाने की विधि
यह महामरिच्यादि तेल त्वचा रोगों में उपयोग किया जाता है जैसे की कुष्ठ, सूजन, घाव, न ठीक होने वाले घाव, फोड़ा, फुंसी, खुजली, दाद्रु, शीतपित्त आदि। इसमें एंटीबायोटिक गुण होते हैं। महामरिच्यादि तेल बनाने के लिए आपको काफी दिकक्तों का सामना करना पड़ सकता है इसके आपको इसे मार्किट से खरीदना उचित रहेगा। यह तेल एक बिशेला तेल है जिसे आपको बच्चों और आंख, मुंह, जैसी जगहों से दूर रखना चाहिए इसका जहर काफी खतरनाक होता है क्यूंकि यह विषैले पदार्थों से बनाया जाता है जैसे की-
कलिहारी मूल, वायविडंग, पवांड़ बीज, सिरस बार्क, काली मिर्च, निसोथ, दन्तीमूल, अर्क दुग्ध, गोबर का रस, देवदारु, दरहरिद्र, कूठ, इंद्रायणमूल, कनेर रूट्स, हरिताल, मनशिला, कुटज बार्क, नीम बार्क, सप्तपर्ण, थूहर दुग्ध, गिलोय, स्टेम, अमलतास करंज बीज नागार मोथा, खादिरवुड, पिप्पली, बच, मालकांगनी, वत्सनाभ, गौमूत्र, सरसों तैल इसमें शामिल हैं।
महामरिच्यादि तेल का उपयोग
इस तेल का उपयोग आयुर्वेद में अधिक किया जाता है यह आयुर्वेदिक तेल है जो बहुत प्रकार की औषधियों से बनाया जाता है महामरिच्यादि तेल का उपयोग त्वचा रोगों के लिए किया जाता है जैसे फोड़े, फुंसी, खुजली, दाद, हिचकी, कुष्ठ रोग, सूजन, घाव, न भरने वाले घाव आदि में किया जाता है। यह तेल केवल बाहरी उपयोग के लिए है जो इसे प्रभावित हिस्सों पर दिन में एक बार लगाना चाहिए। लगाने के बाद हाथों को अच्छे से धोना बेहद जरुरी है। तेल को आँखों और मुंह के संपर्क में न आने दें यह नुकसान पहुंचा सकता है। महामरिच्यादि तेल को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है।
चालमोगरा तेल का उपयोग
आयुर्वेद में चालमोगरा तेल के उपयोग से कंठ पर होने वाले गांठ में लाभ होता है। और टीबी रोग,.हैजा, डायबिटीज , योनि के दुर्गंध को दूर करता है, सिफलिस रोग में फायदेमंद, गठिया रोग, घाव को ठीक करता है, कुष्ठ रोग में, दाद-खाज-खुजली, रक्त विकार में भी फायदेमंद होता है आपको इसका उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें। ताकि आप इसका पूरा फायदा उठा सकें
इसका उपयोग करने के लिए आपको फलमज्जा 5-10 ग्राम, फूल- 5-10 ग्राम, पत्ते (बाह्य प्रयोग हेतु), जड़ की छाल का काढ़ा- 50-60 मिली, चूर्ण- 1-3 ग्राम, तेल- 5-10 बूंद को लेकर इस्तेमाल कर सके हैं। जिसमे आपको किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की जरुरत पद सकती है।
सोमराजी तेल के फायदे
सोमराजी तेल में हल्दी, दारुहल्दी, सफ़ेद सरसों, कूठ, करंज, चक्रमर्द, अमलतास के पत्ते और सरसों का तेल का उपयोग किया जाता है सोमराजी तेल के फायदे आपके लिए स्किन प्रॉब्लम में फायदेमंद है इससे कुष्ठ, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, पीलिका, पीड़िका, व्यंग, गंबीर वात-रक्त, कंडू, दाद, पामा आदि के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है यह तेल काफी विषैला होता हैं इसलिए आपको इसके सावधानी बरतनी होती है इस्तेमाल से पूर्व आपको सम्बंधित विशेषज्ञ से सपर्क करना जरुरी है हालाँकि इसका उपयोग करते वक्त आपको बच्चों व आंख, मुंह और कान आदि जगहों से दूर रखना चाहिए जिससे की आपको नुकसान न हो क्यूंकि यह काफी विषैला आयुर्वेदिक तेल है।
बैद्यनाथ सोमराजी तेल
आप बैद्यनाथ सोमराजी तेल भी खरीद सकते हैं जिसका प्रयोग भी स्किन प्रॉब्लम में फायदेमंद है इससे कुष्ठ, नाड़ीव्रण, दुष्टव्रण, पीलिका, पीड़िका, व्यंग, गंबीर वात-रक्त, कंडू, दाद, पामा आदि के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है यह आयुर्वेद के गुणों से भरपूर है जिसे आप सीधा ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से खरीद सकते हैं।
लाक्षादि तेल के फायदे
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर यह लाक्षादि तेल आपके लिए बहुत से फायदे देता है यह तेल से तेल खांसी, श्वास, सर्दी ,रक्त प्रदर, रक्त पित्त ,कफ रोग ,जलन, खुजली, शिरोरोग , आंखों की जलन ,शरीर में जलन, सूजन ,पीलिया ,खून की कमी व बुखार में समस्या का समाधान करता है। इसका उपयोग करने के लिए आपको सम्बंधित विशेषज्ञ से संपर्क करना जरुरी है जिससे की आपको पूरा लाभ मिल सके.
कुष्ठ राक्षस तेल
आयुर्वेद में कुष्ठ राक्षस तेल का उपयोग कुष्ठ, वातरक्त, श्वित्र, कण्डु , भगन्दर, विचर्चिका, पामा , ममसा वृद्धि में उपयोग किया जाता है जो प्रभावी तरीके से मरीज को ठीक करने में सहायक है। कुष्ठ राक्षस तेल को आप ऑनलाइन भी आर्डर कर सकते हैं कुष्ठ राक्षस तेल पतंजलि का भी आता है जिसे आप सीधा पतंजलि स्टोर से आर्डर कर सकते हैं ले सकते हैं।