आज हम आपको जवासा जड़ी बूटी के फायदे के बारे में कुछ विशेष बातें बताएंगे जिन्हें शायद आप नहीं जानते होंगे शायद अभी आपने इसका नाम सुना होगा यदि आप इसका नाम जानते हैं तो आपको भली भांति पता होगा इसके गुना के बारे में यदि नहीं पता तो यहां आपको विस्तार पूर्वक जवासा जड़ी बूटी के फायदे जन को मिलेंगे यह एक आयुर्वेदिक पौधा है जिसे आप कुछ ही जगह पर देखने को मिल सकता है आयुर्वेद में यहां प्राचीन काल से उपयोग किया जाता रहा है इसकी महत्वपूर्ण भूमिका से आयुर्वेद में कई सारे दोषों के निवारण के लिए यह प्रसिद्ध है। तो चालिए जानते हैं इससे होने वाले बेनिफिट के बारे में।
1. वात-कफ ज्वर
जवासा, कुटकी, सोंठ, कचूर, पाठा, अडूसा और एरण्ड की जड़ को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इस काढ़े के सेवन से श्वास (दमा), कास (खांसी), दर्द और वात के ज्वर (बुखार) आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
2. दमा
श्वास रोग (दमा) में जवासे का धूम्रपान करना लाभकारी होता है।
3. गर्भपात
मुलहठी, कमल, जवासा, सारिवा, रास्ना तथा पद्याख इन सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें, फिर इस तैयार मिश्रण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से गर्भस्राव रुक जाता है।
4. हिचकी का रोग
जवासा, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कायफल, पुश्कर की जड़ तथा काकड़ासिंगी। सबको बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसे शहद के साथ सेवन करें। इससे हिचकी में लाभ होता है।
5. पित्त ज्वर
जवासा, अडूसा, कुटकी, पित्तपापड़ा, प्रियंगु के फूल और चिरायता इन सभी को मिलाकर काढ़ा बना लें और मिश्री या खाण्ड डालकर रोगी को दें।
6. भ्रम रोग
लगभग 58 मिलीलीटर जवासे के काढ़े में 29 ग्राम घी डालकर पीने से भ्रम रोग खत्म हो जाता है। इसी में 240 मिलीग्राम तांबे की भस्म मिलाकर देने से बहुत जल्दी और बहुत अच्छा लाभ मिलता है।
7. भूलने की बीमारी
जवासे की जड़ को छाया में सुखाकर उसको दरदरा कूटकर लगभग 25 ग्राम कूटे हुए जवासे को लगभग 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब एक चौथाई पानी रह जाये तो इसे छान लें, और इसमें आधा चम्मच घी मिलाकर थोड़ा गर्म करके पीयें। इसका सेवन सुबह और शाम एक हफ्ते तक निरन्तर रूप से करने से भूलने की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
8. गठिया रोग
गठिया के रोगी को जवासे का तेल की मालिश करने से रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
जवासा जड़ी बूटी के फायदे
यवसा यानी जवासा पाचन में सुधार करता है और कब्ज के खतरे को कम करता है और पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने की अपनी संपत्ति के कारण बवासीर/बवासीर के लक्षणों जैसे जलन, खुजली, लालिमा, खराश और गुदा के आसपास सूजन में राहत देने में भी मदद करता है। जवासा क्वाथ (काढ़ा) स्टामाटाइटिस (मुंह और होठों की दर्दनाक सूजन) के कारण मुंह की श्लेष्मा झिल्ली की लालिमा को ठीक करने में मदद करता है। जवासा क्वाथ से गरारे करने से इसके कषाय (कसैले) और सीता (ठंडे) गुणों के कारण स्टामाटाइटिस को ठीक करने में तुरंत राहत मिलती है। जवासा किसी भी संक्रमण से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा में भी सुधार करता है। कफ संतुलन प्रकृति के कारण यह सामान्य सर्दी, खांसी, अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसी श्वसन संबंधी जटिलताओं का इलाज करने में मदद करता है।