बवासीर में अतिबला का प्रयोग : यह बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है

बवासीर में अतिबला का प्रयोग

 

बवासीर में अतिबला का प्रयोग : बवासीर या पाइल्स (Hemorrhoids) एक पाचन तंत्रिका सम्बन्धी समस्या है, जिसमें मलाशय के आस-पास की नसों में सूजन और संचार होता है। यह समस्या आंतरिक या बाह्य दोनों प्रकार की हो सकती है और इसके कारण लोगों को दर्द, खुजली, सूजन, रक्तस्राव और आंतरिक रक्तस्राव की समस्याएं हो सकती हैं। 

अतिबला (Atebala) या अब्ला (Abhala) एक जड़ी बूटी है जो बवासीर के इलाज में उपयोगी मानी जाती है। यह आयुर्वेदिक औषधि है और उसे पाउडर या क्वाथ (औषधीय दवाओं का बनाने का एक रसायन) के रूप में लिया जा सकता है। अतिबला में प्रमुख गुणों में मस्तिष्क और रक्तसंचार को शांत करने की क्षमता होती है, जिससे यह बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है अतिबला का प्रयोग बवासीर के लिए निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  1. अतिबला पाउडर: आप अतिबला का पाउडर एक छोटे से पिले में मिला कर दिन में दो बार ले सकते हैं। इसे गुनगुने पानी के साथ लेने से लाभकारी हो सकता है।
  2. अतिबला क्वाथ: अतिबला के पाउडर को पानी में उबालकर क्वाथ बना सकते हैं। इसे रोजाना दो या तीन बार पीने से लाभ मिल सकता है।
  3. अतिबला के तेल: अतिबला का तेल बवासीर के मस्सों पर लगाया जा सकता है। इसे सुबह और शाम में लगाने से लाभ मिल सकता है।

अतिबला के बीज खाने के फायदे

अतिबला के बीज या अतिबला के फलों के बीज खाने के कई फायदे हो सकते हैं। यह बीज विटामिन C, विटामिन ए, एंटीऑक्सिडेंट्स, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, और ऑमेगा-3 फैटी एसिड्स जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। यहां अतिबला के बीज खाने के कुछ मुख्य फायदे हैं:

  1. पाचन सुधार: अतिबला के बीज में मस्तिष्क को शांत करने के गुण होते हैं और पाचन सिस्टम को सुधारने में मदद कर सकते हैं। ये बीज पेट की सूजन, अपच, और आंत्र में खराबी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  2. ताजगी और ऊर्जा के स्त्रोत: अतिबला के बीज एक उत्तेजक और ऊर्जावर्धक हो सकते हैं। इन्हें खाने से शरीर को ताजगी की आवश्यकता पूरी होती है और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।
  3. प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट: अतिबला के बीज विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सिडेंट्स का अच्छा स्त्रोत हो सकते हैं। इन्हें खाने से शरीर की सुरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
  4. आंत्र की सुरक्षा: अतिबला के बीज में प्राकृतिक फाइबर होती है, जो आंत्र के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। यह पाचन को संतुलित रखती है और कब्ज को दूर करने में मदद करती है।
  5. रक्त प्रवाह को सुधार: अतिबला के बीज शरीर में रक्त प्रवाह को सुधारने में मदद कर सकते हैं। यह रक्तसंचार को बढ़ाते हैं और मस्तिष्क और दिल के स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं। 

अतिबला के बीजों को स्वस्थ और प्राकृतिक तरीके से उपभोग करना जरूरी है।

अतिबला के नुकसान

अतिबला बीज का उचित मात्रा में उपयोग करना सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है, हालांकि कुछ लोगों को इसके सेवन से संबंधित कुछ नुकसान हो सकते हैं। नीचे दिए गए हैं कुछ मामूली नुकसान जो अतिबला के बीज के खाने के बाद हो सकते हैं:

  1. पेट की परेशानी: कुछ लोगों को अतिबला के बीज खाने के बाद पेट में अस्वस्थता, गैस, तेज दर्द, या बदहजमी की समस्या हो सकती है। यदि आपको इस तरह की परेशानी होती है, तो आपको इसका सेवन करना बंद कर देना चाहिए।
  2. एलर्जी: कुछ लोगों को अतिबला के बीजों के सेवन से एलर्जी रेशेदार लक्षण हो सकते हैं, जैसे कि त्वचा में खुजली, चकत्ते, लालिमा आदि। अगर आपको ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो इसका सेवन बंद कर दें और चिकित्सक से संपर्क करें।
  3. आहार पर प्रभाव : अतिबला के बीज के सेवन से कुछ लोगों को आहार पर प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि पेट की सूजन, पेट की कठोरता, या दस्त। यदि आपको ऐसी समस्याएं होती हैं, तो इसका सेवन करना बंद कर दें और चिकित्सक की सलाह लें।

यदि आपको अतिबला के बीज के सेवन से किसी भी प्रकार की अनुचित प्रतिक्रिया या संकेत दिखाई देते हैं, तो आपको इसका सेवन बंद कर देना चाहिए और चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। हमेशा अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति पर ध्यान दें और किसी नई आहार या उपचार को शुरू करने से पहले चिकित्सक की सलाह लें।


अतिबला की तासीर कैसी होती है

अतिबला की तासीर ठंडी (Cooling) होती है। यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटी ठंडी प्रकृति की मानी जाती है और शरीर को शीतलता प्रदान करती है। इसलिए, यह उपयुक्त माना जाता है गर्मियों और पित्त प्रकृति व्यक्तियों के लिए, जिन्हें गर्मी के लक्षण जैसे ऊष्णता, रक्तस्राव, जलन, और शरीर में तापमान का बढ़ना होता है।

यदि आप अतिबला का उपयोग करने की सोच रहे हैं, तो इसे अपनी प्रकृति, शरीर का स्वास्थ्य स्थिति, और आपकी व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर आधारित करें। यदि आपको पित्त प्रकृति है या गर्मी संबंधी तकलीफें हैं, तो अतिबला आपके लिए उपयुक्त हो सकती है। 

अतिबला पाउडर कैसे बनाएं

अतिबला पाउडर बनाने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें जिसके लिए आपको अतिबला के बीज इक्कठा करने हैं फिर उसके बाद आपको नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें।

  1. सबसे पहले, शुद्ध और सुखी अतिबला के बीजों को एक सचेत और साफ स्थान पर तैयार करें।
  2. बीजों को एक ग्राइंडर या मिक्सर ग्राइंडर में डालें।
  3. बीजों को घर्षण चक्की या मिक्सर ग्राइंडर में बारीक पीस लें। आपको एक हल्के-हल्के पाउडर की अवस्था तक पीसना है।
  4. पीसी हुई अतिबला के बीजों को एक सुखी और स्वच्छ जार में स्थानांतरित करें।
  5. जार को अच्छी तरह से बंद करें और अतिबला पाउडर को ठंडे और सुखे स्थान में संयंत्रित रखें।

अतिबला पाउडर तैयार हो गया है। आप इसे आपकी आवश्यकता के अनुसार उपयोग कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आप पूरी सावधानी बरतकर बीजों को पीसते हैं और तैयार पाउडर को स्वच्छ जार में संयंत्रित करें। 

Krishna Kumar journalist

कृष्णा कुमार, एक पत्रकार के रूप में, आप अपनी गहरी दृष्टि और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। आपने अपने करियर में अनेक सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण लेखन और रिपोर्टिंग की है, जिसमें निष्पक्षता और संवेदनशीलता प्रमुखता से नजर आती है। पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करते हुए, आप समाज को जागरूक करने और सटीक जानकारी पहुँचाने में योगदान दे रहे हैं, जिससे आपके पाठक घटनाओं की व्यापक समझ विकसित कर पाते हैं।

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