बढ़ा हुआ टीएलसी कम करने की मेडिसिन (दवा) व उपाय in hindi

प्रिय पाठकों आपके लिए आज हम टीएलसी कम करने की मेडिसिन व किया हुआ टीएलसी परीक्षण के साथ-साथ टीएलसी बढ़ने का इलाज पर चर्चा करेंगे साथ में टीएलसी कम करने की दवा का कैसे प्रयोग करना है और टीएलसी कम करने के उपाय in hindi में बताएँगे ताकि आपको टीएलसी से सम्बंधित जानकारी सही सही मिल सके। आपको पूरा पढ़ना है सायद आपकी समस्या का समाधान यहाँ पूरा हो जायेगा आपको कहीं और घूमने की जरुरत नहीं पड़ेगी इसलिए आपको यह अच्छा लगता है तो शेयर भी जरूर करना निचे शेयर का बटन है। 

बढ़ा हुआ टीएलसी कम करने की मेडिसिन

टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) 

टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) से आपके शरीर में रक्त यानि खून में ल्यूकोसाइट्स की मात्रा का पत्ता चलता है दरअसल यह ल्यूकोसाइट्स सफ़ेद खून की कोशिकाएं होती है जिसको WBC गणना ( काउंट ) भी कहा जाता है. इसका टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) करने के लिए आमतौर पर कम्प्लीट ब्लड काउंट के हिस्से के रूप में करते हैं जिसका मुख्य कार्य संक्रमण से लड़ना होता है। आम तौर पर आपने देखा होगा किसी व्यक्ति को एलर्जी हो जाती है यह तब होता जब असामान्य रहता हैं। अब यह WBC भी दो प्रकार के होते हैं जिसका नाम फेगोसाइटिक डब्ल्यूबीसी और दूसरा इम्यून डब्ल्यूबीसी है यह क्या होता है इसके बारे में भी चर्चा करेंगे। पहले आपको यह बता दूँ की टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) क्या देखा जाता है। 

क्या देखा जाता है टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) में 

टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) मुख्य रूप से आपके शरीर में हो रहे संक्रमण व खून से सम्बंधित कमियों को पहचानने में मदद करता है ताकि डॉक्टर को मर्ज का इलाज करने में आसानी हो और वो जड़ से ठीक हो जाये। अक्सर डॉक्टर टीएलसी परीक्षण (टेस्ट) में निम्नलिखित बिंदुओं को देखते हैं। 

  • किस कारण संक्रमण हुआ है
  • खून सम्बन्धी व्याधियाँ क्या हैं 
  • बुखार का कारण 
  • सिरदर्द का कारण 
  • सूजन का कारण 
  • एलर्जी का कारण 
  • इम्युनिटी सम्बन्धी   
  • कंपकपी जैसी अन्य प्रकार की तमाम रोगों का पता लगाने के लिए 

जब आपके शरीर में टीएलसी कम होने से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और आपके शरीर में ल्युकोपिनिया नमक बीमारी हो जाती है इसके अलावा बल्ड कैंसर, हेपेटाइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।

टीएलसी बढ़ने के क्या कारण है?

अकसर हमारे शरीर में टीएलसी की मात्रा बढ़ जाती है इसके पीछे का कारण यह है की शरीर में टीएलसी तभी बढ़ती है जब हमारे शरीर में किसी प्रकार का कोई जीवाणु का संक्रमण हो। अगर हमारे शरीर के किसी अंग में या किसी भाग में चोट लग जाए तो इससे भी टीएलसी बढ़ जाती है चोट किसी भी प्रकार की हो सकती है यह बाहरी चोट भी हो सकती है तथा अंदरूनी चोट भी हो सकती है। कभी-कभी दवाइयों के अत्यधिक इस्तेमाल से भी हमारे शरीर में टीएलसी काफी बढ़ जाती है तो जितनी कम हो सके उतनी कम दवाइयों का इस्तेमाल करें। और अधिकत्तर महिलाओं में तब बढ़ता है जब वे गर्भावस्था में होते हैं इस स्थिति में भी टीएलसी बढ़ जाती है।

टीएलसी को संतुलित या सामान्य कैसे करें

टीएलसी शरीर में टीएलसी बढ़ जाती है या घट जाती है तो ऐसी स्थिति में टीएलसी को सामान्य करना बेहद जरूरी है अन्यथा हम किसी बड़े बीमारी का शिकार हो सकते हैं इसको सामान्य रखने योग्य आवस्यक बिंदु –

  • आपको फल या सब्जी खाते वक्त ध्यान दें उसमें अधिक मात्रा में उर्वरक या पेस्टिसाइड का उपयोग ना हुआ हो
  • आप फल को ताजा दिखाने में किसी प्रकार का कोई मानव निर्मित रंगों का इस्तेमाल न किया गया हो
  • फल या सब्जी को हमेशा धो कर ही खाएं चाहे वह फल कितने ही हरी-भरी क्यों ना दिख रही हो।
  • बीमारी के होने का एहसास हो तो जितनी जल्द हो सके एक अच्छे डॉक्टर से मिले
  • आपको समय पर ही खाना खाना चाहिए
  • तनाव से दूरी बनाए रखें ज्यादा से ज्यादा खुद को काम में व्यस्त रखें ताकि आपको सोचने का समय ही ना मिल पाए।
  • शरीर में किसी प्रकार की कोई चोट लग जाए जिससे कि खून बह रहा हो तो इसे नजरअंदाज बिल्कुल ना करें

सामान्य टीएलसी काउंट कितना होना चाहिए

सामान्य टीएलसी काउंट उम्र के हिसाब से अलग-अलग होती है बच्चे में अलग होती है जवान लोगों में अलग होती है और बूढ़े में भी अलग होती है आइए जानते हैं कि उम्र के हिसाब से सामान्य टीएलसी काउंट कितना होना चाहिए।

  1. वयस्क यानी कि जवान लोगों का टीएलसी काउंट 4500-10500/mm3 होना चाहिए।
  2. जिसकी उम्र 12 से 18 वर्ष वाले बच्चे उनका टीएलसी काउंट 4500-13000/mm3 होना चाहिए।
  3. 6 से 12 वर्ष वाले बच्चे हो तो उनका टीएलसी काउंट 4500-14500/mm3 होना चाहिए।
  4. बच्चे जिसकी उम्र 1 से 6 वर्ष हो उस बच्चे का टीएलसी काउंट 5000-17000/mm3 होना चाहिए।
  5. अगर बच्चे 1 या 1 वर्ष से कम है तो इस स्थिति में टीएलसी काउंट 6000-17500 होना चाहिए।
  6. 4 हफ्तों के बच्चे का टीएलसी काउंट 6000-18000 होना चाहिए।
  7. दो हफ्तों के बच्चे का टीएलसी काउंट 6000-21000 होना चाहिए।
  8. तथा नवजात शिशु का टीएलसी काउंट 10000-26000/mm3 होना चाहिए।

टीएलसी कम करने की मेडिसिन ( दवा )

आपका टीएलसी तब बढ़ता है जब आपको कोई इंजेक्शन हो या कोई एलर्जी हो ऐसे में आपको इसको कंट्रोल करने के लिए टीएलसी कम करने के घरेलू उपाय करना चाहिए जैसे की तुलसी, नीम, लहसुन, चिरायता, कुटकी, हल्दी, त्रिफला, त्रिकुटा को रोजाना 5 से 10 ml लेना चाहिए। आपको लगे की आपका TLC कम हुआ है तो आपको विटामिन ए और विटामिन सी एवम विटामिन ई लेने की आवश्यकता है, आपको इसे पूरा करने के लिए आपको अंगूर, मुनक्का, आंवला, गेंहू के जवारे का रस, टमाटर, पत्ता गोभी, लौकी, निम्बू, गाजर, सेब, शहतूत को रोजाना खाएं। इसके अलावा आपको लौंग, दालचीनी, जीरा, अजवायन, अदरक, तुलसी को रोजाना इस्तेमाल करें जिससे आपको तुरंत कुछ दिनों में ही लाभ मिलना सुरु हो जायेगा आप अपने अंदर परिवर्तन देखना सुरु कर देंगे। किसी भी दवाई को खाने से पहले डॉक्टर से जुरूर सलाह लें। 

क्यों घटती है इनकी संख्या

जब शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स यानी स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बेहद कम हो जाती है, तो व्यक्ति को ल्यूकोपेनिया नामक समस्या हो जाती है. ऐसे में शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और एड्स, कैंसर व हेपेटाइटिस जैसे गंभीर रोगों के होने का ख़तरा बढ़ जाता है. आमतौर पर इन कोशिकाओं की संख्या में गिरावट के पीछे निम्न कारण हो सकते हैं.

  1. एचआईवी
  2. ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
  3. विषाणु संक्रमण
  4. जन्मजात विकार
  5. कैंसर
  6. एंटीबायोटिक दवाएं
  7. राब पोषण
  8. शराब का सेवन
  9. रेडिएशन थेरेपी

लक्षण

  1. . तेज़ बुखार, बदन दर्द
  2. खांसी और गले में ख़राश
  3. सांस लेने में तकलीफ़
  4. वज़न कम होना
  5. ठंड लगना या पसीना आना
  6. सूजन और लाल चकत्ते
  7. मुंह में छाले

टीएलसी कम करने के उपाय in hindi

कॉपर-

शरीर में कॉपर की कमी होने पर स़फेद रक्त कोशिकाओं का संतुलन बिगड़ सकता है और इनकी संख्या में गिरावट आ सकती है. इसे संतुलित करने के लिए कॉपर सप्लीमेंट के साथ-साथ मांस, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों और अनाज का सेवन फ़ायदेमंद रहेगा.

ज़िंक-

शरीर में इसकी संतुलित मात्रा स़फेद रक्त कोशिकाओं के कामकाज को सामान्य बनाए रखने में मदद करती है. शरीर में ज़िंक की कमी को पूरा करने के लिए ओेएस्टर मछली, रेड मीट, सी फूड, सेम और नट्स का सेवन करना चाहिए.

विटामिन्स-

विटामिन ए, सी और ई स़फेद रक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाने में सहायक होते हैं. ये शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद भी करते हैं. इसके लिए गाजर, टमाटर, ऑलिव ऑयल, बादाम, रसीले व खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्ज़ियों आदि का सेवन करें.

WBC कोशिकाओं के प्रकार

WBC कोशिकाओं को ल्यूकोसाइट्स के नाम से भी जाता जाता है और प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में ये कोशिकाएं 5 प्रकार की होती हैं।

लिम्फोसाइट

लिम्फोसाइट का काम शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना है। यानी की यह किसी भी बाह्य संक्रमण के प्रति शरीर का पहला डिफेंस मैकेनिज्म है। यह शरीर को परजीवी, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद प्रदान करता है। वायरस, इन्फेक्शन, टी.बी, कैंसर और ल्यूकेमिया के कारण इनकी संख्या बढ़ जाती है।

न्यूट्रोफिल

न्यूट्रोफिल बेहद शक्तिशाली श्वेत रक्त कोशिका WBC है। यह बैक्टीरिया, कवक और फंगस को खत्म करने में सक्षम होती है। यह शरीर में बाहर से आये बैक्टीरिया या वायरस को अवशोषित कर एन्ज़ाइमेटिक प्रोसेस के द्वारा उसे नष्ट कर देती है। शरीर में किसी इन्फेक्शन, इंजरी, रूमेटाइड अर्थराइटिस और ल्यूकेमिया की संख्या बढ़ जाती है।

बेसोफिल

बेसोफिल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका  है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के घटकों में से एक है। यह अन्य श्वेत कोशिकाओं के साथ, बेसोफिल बैक्टीरिया, फंगल और वायरल संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

एओसिनोफिल 

एओसिनोफिल कोशिकाएं परजीवी और कैंसर सेल्स को नष्ट करने का काम करती हैं। ये अक्सर एलर्जिक कंडीशन में बढती है।

मोनोसाइट 

मोनोसाइट शरीर में आने वाले जीवाणु, बैक्टीरिया, फंगस और कवक को नष्ट करने का काम करती है। ज़रूरत पड़ने पर मोनोसाइट रक्त से निकल कर शरीर के जिस भाग में इसकी जरूरत है वहां पहुंच कर मैक्रोफेज बनाती है।

टीएलसी

TLC का पूरा नाम है Total Leucocytes Count. है। लाल रक्त कोशिकाएं जिसे कि हम Leucocytes के नाम से जानते हैं। यह हमारे शरीर में विभिन्न अंगों में Oxygen पहुंचाने का काम करती है। श्वेत रक्त कोशिकाएं जिसे कि हम Erythrocytes के नाम से जानते हैं यह हमारे शरीर की सुरक्षा की ध्यान रखता है हमारे शरीर में किसी भी प्रकार की कीटाणु या जीवाणु शरीर में घुसने का प्रयास करते हैं तो यह उन्हें मार कर बाहर निकाल देता है। इस दौरान काफी श्वेत रक्त कोशिकाओं नष्ट हो जाती है और जिसके चलते भविष्य में हमारे शरीर में TLC की कमी होते हुए देखा जाता है।

Krishna Kumar journalist

कृष्णा कुमार, एक पत्रकार के रूप में, आप अपनी गहरी दृष्टि और सटीक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। आपने अपने करियर में अनेक सामाजिक, राजनीतिक, और आर्थिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण लेखन और रिपोर्टिंग की है, जिसमें निष्पक्षता और संवेदनशीलता प्रमुखता से नजर आती है। पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन करते हुए, आप समाज को जागरूक करने और सटीक जानकारी पहुँचाने में योगदान दे रहे हैं, जिससे आपके पाठक घटनाओं की व्यापक समझ विकसित कर पाते हैं।

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