बेल आमतौर आपने सुना होगा की यह पूजा में काम आता है और कुछ ने इसका मुरब्बा भी खाया होगा। जिन्होंने ने नही खाया उनके लिए आज हम बेल का मुरब्बा बनाने की विधि के साथ – साथ पतंजलि बेल मुरब्बा के फायदे और बेल मुरब्बा रेसिपी की डिटेल्स को निकाल कर ले आए हैं आपको यह बेल का मुरब्बा बनाने का तरीका पता होना चाहिए यह बेल मुरब्बा बनाने की विधि बहुत आसान है आपको बेल का शरबत कब पीना चाहिए इसका निर्णय आप इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद जरूर जान जायेंगे।
बेल का मुरब्बा कब खाना चाहिए
आपको बेल का मुरब्बा रोजाना सुबह नाश्ते में खाना चाहिए यह आपके पेट की पाचन तंत्र को मज़बूत करता है इसको आप रोजाना सेवन कर सकते हैं यह आपके शरीर को भरपूर मात्रा में प्रोटिन देता है आपको अगर गैस की समस्या है तो बेल का मुरब्बा आपको सुबह खाली पेट खाना बेहद फायदेमंद रहेगा बेल का मुरब्बा औषधीय गुणों से भरपूर है।
बेल का मुरब्बा बनाने की विधि और तरीका
बेल मुरब्बा रेसिपी और बनाने का तरीका :- बेल का मुरब्बा बनाने के लिए आपको एक बेल और आधा किलो गुड़ और थोड़ा सा पानी चहिए है यह विधि आसान है आप इस रेसिपी को आसान तरीका अपनाकर बना लोगे। इसके बाद आपको बेल को छील कर उसका छिलका उतारकर छोटे छोटे टुकड़े कर देना है फिर आपको गुड़ की चासनी बनाकर उसमें बेल के इन टुकड़ों को डाल देना है ध्यान रहे आपको पहले बेल को अच्छे से स्टीम कर देना है उसके बाद चासनी में डालना है जब आप यह विधि कर दोगे फिर यह अच्छी तरह पकने पर और चासनी बेल के कोने कोने में बसने पर निकाल देना है लीजिए अब आपका बेल का मुरब्बा बनाने की विधि सफल हो गई आपको इसे अब इस्तेमाल करना है।
पतंजलि बेल मुरब्बा के फायदे
आपको अगर बेल का मुरब्बा बनाने में दिक्कत है तो आप पतंजलि बेल मुरब्बा भी ला सकते हैं इसके काफी सारे फायदे भी हैं। आप जब इसका इस्तेमाल करना सुरु करते हैं तो आपको बहुत फायदे मिलते हैं जैसे कि, गैस की समस्या, कब्ज की दिक्कत, अनिंद्रा, कमजोरी को दूर करता है इसका सेवन आपको सुबह खाली पेट नास्ते में करना चाहिए।
बेल का शरबत कब पीना चाहिए
बेल का मुरब्बा बनाने का तरीका तो आपने जान ही लिए है आपको यह भी पत्ता होना चाहिए कि बेल का शरबत कब आपको पीना चाहिए। आप इसका सेवन चिलचिलाती गर्मी में शरीर को ऊर्जा देने में कर सकते हैं, इसके अलावा आपको रोजना खाने के साथ या नाश्ते में इसको पीना चाहिए इससे ज्यादा ऊर्जा मिलेगी और आपका इम्युनटी सिस्टम सक्रिय रहेगा फिर आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होगी।